Saturday, 18 August 2012

SHRI MISHRIMAL JI MAHARAJ SAHEB




गुरूदेव का जीवन परिचय
जन्म:विक्रम सम्वत्, 1948 श्रावण शुक्ला चतु्दर्शी  -मंगलवार
जन्म स्थान:औद्योगिक नगरी पाली-मारवाड़ (राजस्थान)
माता:धर्म परायणा श्रीमती केसर देवी सोलंकी – मेहता
पिता:सेठ श्री षेशमल जी जैन सोलंकी – मेहता
वैराग्य भावना:वि.सं. 1969 (अक्षय तृतीया)
सद्प्रेरणा श्रोत:वचनसिध्दि के धनी स्वामी श्री मानमलजी म.सा.
महान तपोधनी स्वामी श्री बुध्द मल जी म.सा.
दीक्षा:विक्रम सम्वत् 1975 अक्षय तृतीया - मंगलवार, सोजतसिटी - राजस्थान
गुरूपरम श्रध्देय महान तपोधनि स्वामी श्री बुध्दमल जी म.सा.
अध्ययन:जिनागम थोकड़े, हिन्दी, संस्कृत, प्राकृत, गुजराती, उर्दू, ज्योतिश, व्याकरण,
महत्वपूर्ण  पदवियां:मरूधर केसरी पद वि.सं. 1993
मंत्री पद वि.स. 1990
प्रवर्तक पद वि.स. 2025
श्रमण सूर्य पद वि.सं. 2033 आदि अनेक पदों से विभूशित।
षिश्य - प्रषिश्य ::श्रमण संघीय सलाहकार उप प्रवर्तक श्री सुकन मुनि जी म.सा., तपस्वी -रत्न
ज्योतिशविद् श्री अमृत चन्द्र जी म.सा. 'प्रभाकर', युवाकवि रत्न डॉ. श्री अमरेष मुनि जी म.सा. 'निराला', सेवाभावी श्री महेष मुनि जी म.सा., श्री अखिलेष मुनि जी भतीजे षिश्य - प्रषिश्य : लोकमान्य वरिश्ट सन्त, षेरे राजस्थान, प्रवर्तक श्री रूपचन्द जी म.सा.
'रजत', सेवाभावी श्री महेन्द्र मुनि जी म.सा.,पण्डित श्री राकेष मुनि जी म.सा., गायक श्री मुकेष मुनि जी म.सा., व्याख्यानी श्री हरीष मुनि जी म.सा., सेवाभावी श्री
नानेष मुनि जी म.सा. हितेष मुनि जी, प्रवेष मुनि जी, सचिव मुनि जी
षिश्याएँ : परम विदुशी महासती श्री तेजकंवर जी म.सा. आदि ठाणा 5.
परम विदुशी राजमति जी म.सा.
परम विदुशी महासती श्री पुश्पवती जी (माताजी) म.सा. आदि ठाणा 4.
परम विदुशी महासती श्री धर्मप्रभा जी म.सा. आदि ठाणा 2.
परम विदुशी महासती श्री इन्दुप्रभा जी म.सा. आदि ठाणा 3.
परम विदुशी महासती श्री मंगल ज्योति जी म.सा.
स्वर्गारोहणविक्रम सम्वत् 2040 पोश सुदी चवदस मंगलवार 17 जनवरी सन् 1984, जैतारण, राजस्थान जो आज मरूधर केसरी पावन धाम के नाम से विख्यात हैं। श्रध्दालुओं के भक्ति का केन्द्र बना हुआ हैं।
गुरूदेव का विषिश्ट व्यक्तित्व व कृतित्व
पाँच हजार पृश्ठ से भी अधिक गद्य-पद्य मय अनेक साहित्य रचना। गुरूदेव का जैसा नाम वैसा ही काम था, जैसे-मिश्री कड़क होती है, लेकिन उसमें मिठास भी होता हैं। इसी प्रकार आप वाणी से कड़क और जन हित की भावना से समाहित थे। आप बाबा जी के नाम से भी विख्यात थे क्योंकि फकीरी का आनन्द हर समय आपके चेहरे पर विद्यमान रहता था। संगठन के पुजारी, समाज सुधारक, दीन असहायों के सहायक, स्पश्टवादी एवं जन कल्याण के कार्यो में भक्तों को प्रेरित करके अरबों का दान दिलवाया। गुरूदेव ने जैन धर्म के अहिंसा ध्वज को देष के कौने-कौने में फहराया। संप्रदायवाद से परे होकर श्रमण संघ को एक सूत्र में बांधने का कार्य किया। पाँच साधु सम्मेलन आपने अपने सानिध्य में करवायें। अहिंसा, अपरिग्रह, और अनेकान्तवाद आदि जैन धर्म के मूल सिध्दान्तों को आपने जन-जन तक पहुंचाया। गुरूदेव ने केवल मानव कल्याण का ही नहीं, अपितु प्राणी मात्र के कल्याण का कार्य किया। आपने अपनी हर चर्चा में 'जियो और जिने दो' के सन्देष को दोहराया और आगे बढ़ाया। आपका अदम्य साहस, उत्साह लगन और सबके  साथ सूझ भरी दूरगामी दृश्टि के ऐसे सद्गुण थे कि जो जीवन के हर कदम पर उनके साथ थे। आपका दृश्टिकोण व्यापक व उदार था। आपके पास हर समय छत्ताीस ही कौम के लोग अपनी समस्याओं को लेकर आते और समाधान पाकर प्रसन्नचित्ता हो जाते थे। आप जन-जन के श्रध्दा के केन्द्र बने हुए हैं।

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पूज्य गुरूदेव श्री के चातुर्मास
विक्रम सम्वत्स्थान  राज्य
1976जैतारणराजस्थान
1977जोधपुरराजस्थान
1978सोजतसिटीराजस्थान
1979जेैतारणराजस्थान
1980जोधपुरराजस्थान
1981सेहवाजराजस्थान
1982जैतारणराजस्थान
1983जोधपुरराजस्थान
1984सोजत रोड़राजस्थान
1985जैतारण               राजस्थान
1986सोजतसिटीराजस्थान
1987बलून्दाराजस्थान
1988कालू-आनन्दपुरराजस्थान
1989सेहवाज       राजस्थान
1990कालू-आनन्दपुरराजस्थान
1991जोधपुर       राजस्थान
1992सोजतसिटीराजस्थान
1993टांटोटीराजस्थान
1994जोधपुरराजस्थान
1995सोजतसिटीराजस्थान
1996केषरी सिंह जी का गुड़ाराजस्थान
1997बिलाड़ाराजस्थान
1998बूसीराजस्थान
1999बूसीराजस्थान
2000सिरीयारीराजस्थान
2001जैतारण       राजस्थान
2002जोधपुरराजस्थान
2003सोजत सिटीराजस्थान
2004सादड़ी मारवाड़राजस्थान
2005बगडी नगरराजस्थान
2006कुरड़ायाराजस्थान
2007जैतारणराजस्थान
2008मादलियाराजस्थान
2009सादड़ी - मारवाड़       राजस्थान
2010बिलाड़ा       राजस्थान
2011गढ सिवानाराजस्थान
2012सेहवाजराजस्थान
2013कुषालपुरा       राजस्थान
2014सोजतसिटीराजस्थान
2015ब्यावरराजस्थान
2016सादड़ी - मारवाड़राजस्थान
2017खवासपुराराजस्थान
2018सोजतसिटीराजस्थान
2019जोधपुरराजस्थान
2020सांडेरावराजस्थान
2021कोटड़ाराजस्थान
2022चाउण्डियांराजस्थान
2023निम्बाजराजस्थान
2024गोटनराजस्थान
2025अटबड़ाराजस्थान
2026राणावास मारवाड़राजस्थान
2027जोधपुरराजस्थान
2028ब्यावरराजस्थान
2029बगड़ी नगरराजस्थान
2030सोजतसिटीराजस्थान
2031पाली - मारवाड़राजस्थान
2032केकिन्द (जसनगर)राजस्थान
2033सोजत रोड़राजस्थान
2034सोजत सिटीराजस्थान
2035जैतारणराजस्थान
2036सादड़ी - मारवाड़राजस्थान
2037कुषालपुराराजस्थान
2038बगड़ी नगरराजस्थान
2039पाली-मारवाड़राजस्थान
2040मेड़ता सिटीराजस्थान


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गुरूदेव की प्रेरणा से चलने वाली संस्थाएँ
1श्री लोकषाह जैन गुरूकुल, श्री संतोश जैन प्राचीन ज्ञान भण्डार।
2श्री वर्धमान स्थानकवासी आयंबिल खाता।
3श्री स्थानकवासी जैन बड़ा स्थानक सादड़ी (मारवाड़)
4श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन षिक्षण संघ।
5श्री मरूधर केसरी उच्च माध्यमिक विद्यालय।
6श्री रजत जैन अमरषाला।
7श्री थानचन्द मेहता कला केन्द्र, राणावास (विद्यानगरी - मारवाड़)
8आचार्य श्री रघुनाथ जैन पुस्तकालय।
9आचार्य श्री रघुनाथ जैन राजकीय चिकित्सालय।
10श्री गौतम गुरूकुल।
11जैन बड़ा स्थानक।
12खीचों के वास का स्थानक (सोजत सिटी) मारवाड़।
13श्री महावीर मण्डप, जैन बड़ा स्थानक सोजत रोड़।
14श्री केसर जैन अमर बकरा षाला।
15श्री मरूधर स्थानकवासी जैन पारमार्थिक समिति।
16श्री पानीबाई कातरेला जैन चिकित्सालय।
17श्री मरूधर केसरी टी.बी. चिकित्सालय, पषु चिकित्सालय, जैन बड़ा स्थानक बगड़ी नगर (मारवाड़)
18श्री एम.एस. मरूधर केसरी जैन, छात्रावास, श्री स्थानक जैन गौषाला, जैन बड़ा स्थानक जैतारण (राजस्थान)
19श्री मरूधर केसरी बाल विद्यामन्दिर, श्री जैन बड़ा स्थानक चिकित्सालय, बिलाड़ा (मारवाड़)
20आचार्य श्री रघुनाथ जैन षोध संस्थान, श्री बुधवीर स्मारक मण्डल निंबाज हाउस, बड़ा स्थानक जोधपुर (राजस्थान)
21श्री मरूधर केसरी जेन पुस्तकालय, श्री जैन बड़ा स्थानक, मादलिया (मारवाड़)
22श्री मरूधर केसरी जैन पुस्तकालय, श्री जैन बड़ा स्थानक, खवासपुरा (मारवाड़)
23आचार्य श्री रघुनाथ जैन, चतुर्दस चातुर्मास स्मृति भवन, मेड़तासिटी (राजस्थान)
24श्री राजकीय आयुर्वेद जैन औशधालय, जैन स्थानक, थाँवला(राजस्थान)
25श्री अखिल भारतवर्शीय मरूधर केसरी पारमार्थिक समिति वृध्दश्रम, पुश्कर (राजस्थान)
26श्री जैन महावीर भवन, (पण्डाल) लाखन कोटड़ी, अजमेर (राजस्थान)
27श्री मरूधर केसरी साहित्य प्रकाषन समिति, ब्यावर (राजस्थान)
28श्री मरूधर केसरी उच्च माध्यमिक विद्यालय कुषापलपुरा (राजस्थान)
29श्री मरूधर केसरी माध्यमिक विद्यालय सेहवाज (राजस्थान)
30श्री मरूधर केसरी जैन गुरूसेवा समिति जैन विद्यापीठ सोजत सिटी (राजस्थान)
31श्री मरूधर केसरी जैन पुस्तकालय, जैन बड़ा स्थानक व्यापारी (राजस्थान)
32श्री मरूधर जैन मित्र मण्डल, जैन बड़ा स्थानक व चिकित्सालय सारण (राजस्थान)
33आचार्य श्री रघुनाथ जैन तपोभूमि भवन, श्री जिनेन्द्र ज्ञान मंदिर, सिरीयारी (राजस्थान)
34आचार्य श्री रघुनाथ जैन स्मृति भवन, श्री महावीर जैन पुस्तकालय, पाली (राजस्थान)
35श्री यष सज्जन जैन महिला मण्डल, जैन स्थानक, मारवाड़ जंक्षन (राजस्थान)
36श्री महावीर जैन गौषाला, श्री महावीर भवन, चण्डावल (राजस्थान)
37गुरू श्री बुधमुनि जैन पाठषाला, जैन स्थानक, कुरडाया (राजस्थान)
38श्री बुधमुनि जैन छात्रावास, भरतपुर (राजस्थान)
39श्री मरूधर केसरी महिला महाविद्यालय, मान्यमवाड़ी (तमिलनाडू)
विषेश :- पूज्य गुरूदेव की प्रेरणा से निम्न अनेक स्थानों पर स्थानक व संस्थाओं का निर्माण हुआ :-
1मुण्डार
2बाली
3मांगलियाजी का गुड़ा
4सांडेराव
5दासपा
6डांगियावास
7ओलवी
8हरियाड़ा
9राणीवाल
10पूंजलू
11कोसाणा
12कोटड़ा
13सेंदड़ा
14अजमेर
15कुषालपुरा
16चावण्डिया
17पाटवा
18चण्डावल
19करमावास - पट््टारी
20अटपड़ा
21बरणा
22सेवाज
23रामावास गांव
24बुसी
25जवाली
26मींटा
27मदारिया
28रायपुर
29रीठावड़ी
30सरदारपुरा नेहरू पार्क जोधपुर
31इन्दावड़
32राणा, सारण
एवं साउथ महाराश्ट्र, कर्नाटक, सूरत, गुजरात आदि अनेक स्थानों पर संस्थाएँ व स्थानक बने आज वर्तमान में करीब 300 संस्थाएँ गुरूदेव के नाम से सुचारू रूप से चल रही हैं।




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 Books available for downloads or to read online :

आपके द्वारा रचित साहित्य
1श्री पाण्डव यषोरसायन(महाकाव्य)
2मरूधरा के महान सन्त(पद्यमय चार चरित्र)
3संकल्प विजय(35 पद्यमय चरित्र)
4सच्ची माता का सपूत(गजसिंह चरित्र)
5भविश्यदत्ता चरित्र(पद्यमय)
6गोविन्द सिंह चरित्र(पद्यमय)
7षीललता चरित्र(पद्यमय)
8विनयवती चरित्र(पद्यमय)
9बंकचूल चरित्र(पद्यमय)
10धर्मदत्ता चरित्र(पद्यमय)
11पुश्पवती चरित्र(पद्यमय)
12अशाडाठाकुर चरित्र(पद्यमय)
13मदनरेखा चरित्र(पद्यमय)
14षीलसिंह चरित्र(पद्यमय)
15कथवन्नाषाह चरित्र(पद्यमय)
16मानमुनि चरित्र(पद्यमय)
17क्रान्तिकारी वीर लोकाषाह(हरिगीतिका)
18धर्मवीर लोकाषाह(राजस्थानी)
19बुधवादनी(पद्यमय)
20पद्यप्रबन्ध पट्टावली(पद्यमय)
21मधुर षिक्षा खण्डकाव्य(पद्यमय)
22पार्ष्व पच्चीसी(पद्यमय)
23उपदेष बावनी विविध विशयक(छन्द)
24मधुर मंगल(ढ़ाले)
25मधुर साहित्यमाला भाग-1(पद्यमय)
26मधुर दृश्टान्त षतक काव्य(पद्यमय)
27मधुर काव्यमाला(भजन)
28मधुर स्तवन सुमनमाला(भजन)
29मधुर बत्ताीसी(भजन)
30मधुर भजनावली(भजन)
31मधुर मंगल-प्रार्थना(भजन)
32मधुन मनन(भजन)
33मधुन मनन(भजन)
34मधुर हरियाली(भजन)
35मधुर चतुर्विंषति(भजन)
36मधुर काव्य(भजन)
37मधुर सावन संगीत(भजन)
38मधुर रूप माला(भजन)
39मधुर कविता कुंज(भजन)
40मधुर काव्य (द्वि-भाग)(भजन)
41मधुर स्तवन वाटिका(भजन)
42मधुर गायन(भजन)
43मधुर मलय संगीतमाला(भजन)
44मधुर वीणा(भजन)
45मिश्री के मोदक(भजन)
46मिश्री के कुंज(भजन)
47मिश्री का मिठास(भजन)
48मिश्री के लड्डू (भाग 1,2,3)(भजन)
49जैन दिल खुषबहार (भाग 1,2)(भजन)
50जैन समाज सुधार(भजन)
51जैन संगीत सुधार(भजन)
52जैन मंगल माला(भजन)
53जैन धर्म पुश्पलता(भजन)
54जिनागम संगीत (भा. 1,2)(षास्त्रीय संगीत)
55नवरत्नलता(भजन)
56मीठी बंषी(भजन)
57वीरदल-गायन(भजन)
58गुरूभक्ति भजनमाला (भा. 1,2)(भजन)
59अमृत-गुटका(भजन)
60सुन्दर-मुख-चपेटिका(भजन)
61चम्पा भजनामृत(भजन)
62मनोहर फूल  (भजन)
63श्रमण कुलतिलक आ.रधुनाथ(गद्यमय जीवन)
64रघुनाथ जी म.सा.(चरित्र और गद्यपद्यमय)
65उत्ताराध्ययन सूत्र(चरितानुवाद)
66तकदीर की तस्वीर(पद्यमय श्रीपाल चरित्र)
67जीवन सुधार सप्त व्यसनपर   (गद्यमय)
68पथिक प्रबोध(भजन)
69पार्ष्व प्रभा(भजन)
70पूज्य पच्चीसी(भजन)
71रेणुरसविनोद(भजन)
72जयन्ती गायन(भजन)
73दिव्य संगीत(भजन)
74नित्य स्मरण(भजन)
75नित्य स्मरण(भजन)
76चम्पककली(भजन)
77भक्तिरस भजनावली(भजन)
78भक्ति के पुश्प् (भजन)
79श्री मद्रघुनाथ चरित्र(भजन)
80बुधविलास भाग-1(जैन ज्योतिश गद्यपद्य)
81बुधविलास भाग-2(गुरू षिश्य संवाद पद्यमय)
82मोहन-सोहन संवाद(नाटक)
83आगे आओ सा(नाटक)
84भ. महावीर जनम कल्याणक चरित्र(पद्यमय)
85तत्व ज्ञान तरंगिणी(तात्विक ग्रन्थ)
86अछूतों के अपमान का फल(गद्य)
87जड़ पूजकों ! पढ़ो(गद्यचर्चा)
88क्या मूर्तिपूजा षास्त्रोक नहीं हैं ?            (गद्य)
89सच्चा-सपूत(गद्य)
90लमलोट का लफन्दर (गद्य)
91भायालारो - भीडू(गद्य)
92टनकाईरो तीर(गद्य)
93गजब रो गोटालों(गद्य)
94गौरांरो गोटालों(गद्य)
95मानव बनों(प्रवचन गद्य)
96अहिंसा(गद्य)
97आदत रो ओखद(नाटक)
98दिगम्बरमत समीक्षा(गद्य-चर्चा)
99धर्मप्राण लोकाषाह(गद्य-जीवनी)
100श्रमण सुस्तरू(चार्ट)
101कर्मग्रन्थ भाग 1 से 6 तक(तात्विक ग्रन्थ)
102जैन धर्म(तात्विक ग्रन्थ)
103चार महामंगल(पर्वसमालोचना)
104जीवन ज्योति(प्रवचन)
105प्रवचन प्रभा (प्रवचन)
106प्रवचन सुधा(प्रवचन)
107साधना के पथ पर(प्रवचन)
108धवलज्ञान धारा(प्रवचन)
109मिश्री की डलियाँ(प्रवचन)
110मित्रता की मणियाँ(प्रवचन)
111प्रवचन मणिमाला(प्रवचन)
112विक्रमादित्य चरित्र      (पद्य)
113मिश्री काव्य विनोद(पद्य अनेक विशयों पर)
114हट्टीसिंह चरित्र      (पद्य)
115विमलहंस चरित्र(पद्य)
116वैराग्योपदेष चरित्र      (पद्य)
117चौबोली चरित्र(पद्य)
118पंचदण्ड चरित्र(पद्य)
119सतीलक्ष्मी चरित्र(पद्य)
120महेन्द्रसिंह चरित्र(पद्य)
121दलथम्भनसिंह चरित्र(पद्य)
122दषवैकालिक सूत्र-सार्थ(आगम)
123सुधर्म प्रवचनमाला(दषधर्म प्रवचन 1 से10 भाग)
124रामयष चन्द्रिका(जैन रामयण पद्यमय)
125भाग्यक्रीड़ा(धार्मिक उपन्यास)
126सांझ सवेरा(धार्मिक उपन्यास)
127किस्मत का खिलाड़ी(धार्मिक उपन्यास)
128बीज और वृक्ष(धार्मिक उपन्यास)
129धुनश और बाण(धार्मिक उपन्यास)
130एक म्यान में दो तलवार      (धार्मिक उपन्यास)
131तीर्थकर महावीर(गद्य)
1328 लघु पुस्तकें(गद्यमय)
133पंच व्रत संग्रह 10 भाग(गद्य)




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महासती समुदाय
मरूधर केसरी जी के महासती समुदाय
1मरूधरा सिंहनी श्री तेज कंवरजी म.सा. ठाणा (5)
2महासती स्वाध्याय प्रेमी सरलमना माताजी श्री पुश्पवती जी म.सा.
3मरूधरा शिरोमणी बाल ब्रह्यचारी गुरूणी श्री राजमतीजी म.सा. ठाणा (4)View
4महासती श्री धर्म प्रभाजी म.सा. ठाणा (2)
5महासती श्री  चेतना जी म.सा. ठाणा (2)
6महासती जी री इन्दु प्रभाजी म.सा. ठाणा (3)
7महासती जी श्री मंगलज्योति जी म.सा. ठाणा (3)
8महासती जी श्री रिध्दी जी म.सा. ठाणा (3)



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(1) ऊँ जय महावीर प्रभो
ऊँ जय महावीर प्रभो, स्वामी जय महावीर प्रभों।
जयनायक सुखदायक, अति गंभीर प्रभो॥
कुण्डलपुर में जन्में, त्रिषला के जाये हो स्वामी।
पिता सिध्दारथ राजा, सूर नर हर्शाए ऊँ जय ......॥
दीनानाथ दयानिधि, है मंगलकारी, स्वामी है मंगल .....।
जगहित सम्यक धारी, प्रभु पर उपकारी, ऊँ जय ...........॥
पापाचार मिटाया, सत्पथ दिखलाया, स्वामी सत्पत ..........।
दयाधर्म का झण्डा, जग में लहराया ऊँ जय...........॥
अर्जुनमाली गौतम, श्री चन्दनबाला, स्वामी श्री चन्दन ..............।
पर जगत से बेड़ा, इनका कर डाला, ऊँ जय .............॥
पावन नाम तुम्हारा, जगतारण हारा, स्वामी जगतारण .............।
निष-दिन जो नर ध्यावे, कश्ट मिटे सारा, ऊँ जय...............॥
करूणा सागर ! तेरी महिमा है न्यारी, स्वामी महिमा .............।
ज्ञानमुनि गुण गावे, चरणन बलिहारी, ऊँ जय .................॥
(2) गुरू वंदन स्तुति
नित बन्दू षीष नमाय, मरूधर केसरी ।
गुरू वंदन चरणा मांय, मरूधर केसरी ॥
पाली आली नगरी व्हाली गुरू आप लियो अवतार ।म.।
मां केसरी री कूंख उजाली, पितु सेसमल हिया हार ।म.।
बुध गुरू रा षिश्य लाडलां, मरूधर रा संत महान ।म.।
ज्ञान प्रकाष फैलायो जग में, रखी जैन धर्म की षान ।म.।
परम प्रतापी परचा धारी, श्रमण संघरा भान ।म.।
संघ हितैशी कारज करने, खोलिया केई संस्थान ।म.।
राजा रंक ज्यारे एकसा, वे सब री सुणता पुकार ।म.।
मांगलिक लेता आपरो, ज्यारे होता मंगलाचार ।म.।
करूणा सागर परम कृपालु, दीन हिन प्रतिपाल ।म.।
जिनमत ज्योति जगाई जगमग, किया कारज केइ कमाल ।म.।
अखण्ड संघ री अलख जगाई, कियो श्रमण संघ निर्माण ।म.।
भक्त हृदय भगवान है, गुरू संगठन रा प्राण ।म.।
वाहिज वचदष चान्दणी, अरू वोहिज मंगलवार ।म.।
जन्म दिवस सुरगा, गया, कियो आतम जग उधार ।म.।
जग तारण जाता रह्या, वे जयतारण सुर लोक ।म.।
सोजत री दीक्षा ग्रही, आ आखातीज आलोक ।म.।
संवत चालीस, हाँ 'रूप सुकन' सिर मोड़ ।म.।
अभिनन्दन वन्दन स्वीकारो, म्हारा कालजिया री कोर ।म.।
(3) मरूधराराचन्दन् षत् षत् वन्दन
हे भैरव नन्दन, थांने षत् षत् वन्दन्।
मरूधर रा चन्दन, थांने षत् षत् वन्दन्।
द्वारै मैं ऊभौ थारै स्वामी, सुण हेलौ दु:ख भन्जन ॥टेर॥
(1)
मैं संसारी भोग विलासी, माया कपट में उलझ गयौ ।
लोभ मोह मद अहंकार री, डाढां मांये जकड़ गयों।
मैं हूं महापापी, म्हंने दे दो माफी ................... तोड़ो झूठा बन्धन ................
सुण भैरव नन्दन् .................
(2)
म्हारी नैया डूबै दाता, अब कोई ना सहारौ हैं।
संगी साथी छूट गया सब, एक आसरौ थारौ है।
अब देर न कर तू, म्हारौ संकट हर तू ...............काटो सारा कन्दन .................
सुण भैरव नन्दन् .................
(3)
हे मरूधर रा कल्पतरू, हे भव सागर रा तारन हार।
श्रमण संघ रा पूज्य प्रवर्तक, सुणलै म्हांरी आज पुकार।
अब दरस दिखादे, म्हांरा कश्ट मिटा दे .............. मोती सुत पद वन्दन ...........
सुण भैरव नन्दन् .................
(4)
एक दूजै सूं दूर हुया म्हां, अहंकार जद छाया जी।
तीन लोक में फिरां भटकता, तृश्णा रा भरमाया जी।
म्हारी दुविधा मिटादो, अब चरण लगा दो ............ मेटो भव जग फन्दन ...............
सुण भैरव नन्दन् .................
परम प्रभाविक
-श्रमण - सूर्य - बयालीसा-
-दोहा-
चिदानन्द आनन्द घन, सहजानन्द स्वरूप । सम्यक् समरस सौम्यता, भव्य भंत जग भूप॥1॥
गुरू मिसरी मरू केसरी, जीवन प्राणाधार। तव चरण स्थिर चित्ता से, नमन करू षत बार॥ 2॥
-चौपाई-
जय जय गुरूवर मंगलकारी। धर्म धुरंदर पर उपकारी ।1।
मरूधर मनहर भूमि सुहाये । पाली नगर पुन्य प्रकटाये ।2।
उगणीसे अड़तालीस आया। सावण सुद चौदस दिन भाया।3।
षेशमल सुत केसर भारी । मिसरी गुरू की लू बलिहारी ।4।
ओसवाल कुल पूनम चंदा। वंष सोलंकी दिव्य दिनन्दा।5।
बाल बय पुन्यवंत कहाया। राजा राणी गोद खिलाया।6।
धर्म भाव बचपन में ठाया। मान, बुध्द गुरू लाड लडाया।7।
उगणीसे पीचन्तर भारी। आखा तीज दिन दीक्षा धारी।8।
रूप अनुपम गुण भंडारी। उत्कृश्ट संयम सुव्रत पारी ।9।
उत्ताम गति मति सत आचारी। भव्य साधना हित षिवचारी।10।
लब्धी धारी बहुश्रुत भारी। भव्य जनों के संषय हारी ।11।
समकित दायक धर्म दिवाकर। षासन सेवा सत्य उजागर।12ं
गुप्त त्याग धारे सुखकारी। द्रव्य सप्त मर्यादा धारी।13।
संत षिरोमणि भक्ति तिहारी। यही चाह मम् प्रकट पुकारी ।14।
गुरू नाम सम मंत्र ना दूजा। चरण कमल की करता पूजा।15।
काम क्रोध मद मत्सर छीना। अपना जान अभय पद दीना।16।
मरती मछियाँ आप बचावे। षहर बीलाड़ा गंगा गावं ।17।
करूणा निधे जगत उपकारी। जग वल्लभ समता गुणधारी।18।
धर्म अहिंसा जग समझाया। पाप पुन्य का भेद बताया ।19।
चमत्कार लाखों जन पाया। डाकू दल पद षीष नमाया ।20।
गुरू मिसरी पर तन धन वारे। घन मयूर ज्यूं नित्य पुकारे।21।
उज्जवल गुरूवर यष तिहारा। अविचल भक्ति भाव उदारा ।22।
क्रूर सिंह गुरू दर्षन पाया। चरण कमल में षीष नमाया ।23।
श्रमण संघ के दिव्य सितारे। भव्य जनों के तारण हारे ।24।
भक्त वत्सल प्राण आधारा।नवनिधि दायक मोहनगारा।25।
दुख: निकन्दन आषा धारी।अधम उध्दारण ममता हारी ।26।
खाती लाल अभय पद पाया। सर्प दंष से प्राण बचाया।27।
जगत देव किन्चित नहि ध्याऊँ । गुरू मिश्री को नित्य मनाऊँ ।28।
पुन्य उदय गुरूवर गुण गाऊँ । मधुर मधुर धुन ध्यान लगाऊँ ।29।
पलक न विसरू नाम तुम्हारा। भव भव भक्ति चाह विचारा ।30।
जन हित काज किये सुखकारी । विद्यालय गौषला भारी ।31।
सत् गुरू पूरो आषा हमारी । मंगल दाता परम उदारी ।32।
दीन हीन के तुम रखवारे। पतित पावन कर पार उतारे ।33।
समता मंदिर आप विहारी । विधि युत वंदन नित्य हमारी ।34।
सरवर तरूवर सम उपकारी। कड़क नाम मिसरी गुणधारी ।35।
जन्म स्वर्ग चौदष दिन आया। भोमवार गुरूवर मन भाया ।36।
दोय हजार वर्श चालिसा। आप किये गौलोक निवासा ।37।
जैतारण जग तारण आया। भव्य भाव संथारा ठाया ।38।
आधि व्याधि सब रोग नषावे। मिसरी गुरू को नित उठ ध्यावे।39।
जय जय मिश्री ध्यान लगावे। भूत पिषाच निकट नहीं आवे ।40।
जो यह पाठ करे चित भावे। अश्ट प्रहर सुख मंगल पावे ।41।
महिमा गुरूवर अगम अपारा। 'मुनिअमृत' नितदास तिहारा ।42।
ओम् अर्हम् अर्हम् गायेजा। अन्तर में ज्योंति जगाये जा ।टेर।
अरिहन्त सदा जयकारी है। अखण्ड ज्ञान के धारी है। परमातम पद पायेजा ।ओम्। ।1।
प्रभु राग द्वेश को जीत लिया ।  जिन समता का संदेष दिया। मैत्री भाव बढ़ायेजा ।ओम्। ।2।
सकल पदारथ ज्ञाता हैं॥ विहर मान विधाता हैं॥ अमृत नित अमृत पायेजा ॥ओम्॥ ॥3॥


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